धर्म एवं दर्शन >> पौराणिक कथाएँ पौराणिक कथाएँस्वामी रामसुखदास
|
5 पाठकों को प्रिय 1 पाठक हैं |
नई पीढ़ी को अपने संस्कार और संस्कृति से परिचित कराना ही इसका उद्देश्य है। उच्चतर जीवन-मूल्यों को समर्पित हैं ये पौराणिक कहानियाँ।
पुराण हमारी संस्कृति के संवाहक हैं तथा हमारी समृद्ध धरोहर भी। पुराण एक तरह से इतिहास-ग्रन्थ ही हैं। इनमें विभिन्न महत्त्वपूर्ण घटनाओं, राजाओं-महाराजाओं, ऋषियों-महर्षियों, देवताओं, असुरों आदि की कथाएँ भरी पड़ी हैं। किसी विशेष देवता के नाम पर कोई पुराण है तो उसमें उसी देवता सम्बन्धित कथाओं और अन्तर कथाओं का वर्णन प्राप्त होता है, जैसे शिव पुराण में शिव से सम्बन्धित घटनाओं का उल्लेख मिलेगा तो मार्कण्डेय पुराण में मूलतः देवी की कथा प्राप्त होती है।
ऐसे ग्रन्थ और किसी भाषा या देश में उपलब्ध नहीं हैं। ज्ञान-विज्ञान से पूर्ण इन ग्रन्थों के कारण ही भारत को विश्व-गुरु की उपाधि प्राप्त थी।
अफ़सोस की बात है कि आज हम अपने इन महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों से अपरिचित होते जा रहे हैं। पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव से प्रभावित नई पीढ़ी को तो इन उपयोगी तथा बहुमूल्य ग्रन्थों से कोई लेना-देना ही नहीं रहा। यही कारण है कि आज वह पूरी तरह दिग्भ्रमित हो रही है। उच्चतर मानवीय मूल्यों के प्रति उसमें कोई आस्था नहीं रह गई है। बुजुर्गों यहाँ तक कि माता-पिता के प्रति भी उनकी श्रद्धा समाप्त हो गई है। फलतः परिवारों का विखण्डन हो रहा है। परिवार के वृद्ध और वृद्धाएँ वृद्धाश्रमों में रहने को विवश हो रहे हैं। इस पुस्तक के लेखन के मूल में ये सारी समस्याएँ ही हैं। नई पीढ़ी को अपने संस्कार और संस्कृति से परिचित कराना ही इसका उद्देश्य है। उच्चतर जीवन-मूल्यों को समर्पित हैं ये पौराणिक कहानियाँ।
अनुक्रम
पौराणिक कथाएँ 2
परहित के लिए सर्वस्व-दान 6
अद्भुत अतिथि-सत्कार 8
मौत की भी मौत 11
प्रतिशोध ठीक नहीं होता 14
सुनीथाकी कथा 20
सीता-शुकी-संवाद 29
सत्कर्ममें श्रमदानका अद्भुत फल 36
नल-दमयन्ती के पूर्वजन्म का वृत्तान्त 39
गुणनिधिपर भगवान् शिवकी कृपा 42
कुवलाश्वके द्वारा जगत् की रक्षा 46
भक्त का अद्भुत अवदान 50
मन ही बन्धन और मुक्ति का कारण 53
महर्षि सौभरि की जीवन-गाथा 57
भगवन्नाम समस्त पाप भस्म कर देता है 71
सत्यव्रत भक्त उतथ्य 77
सुदर्शनपर जगदम्बाकी कृपा 86
विष्णुप्रिया तुलसी 91
गौतम ऋषि द्वारा कृतघ्न ब्राह्मणोंको शाप 101
वेदमालि को भगवत्प्राप्ति 108
राजा खनित्र का सद्धाव 114
राजा राज्यवर्धन पर भगवान् सूर्यकी कृपा 119
देवी षष्ठी की कथा 125
भगवान् भास्कर की आराधना का फल 134
गरुड़, सुदर्शनचक्र और श्रीकृष्ण की रानियों का गर्व-भंग 138
कर्तव्यपरायणता का अद्भुत् आदर्श 141
विपुलस्वान् मुनि और उनके पुत्रोंकी कथा 145
राजा विदूरथ की कथा 153
इन्द्र का गर्व-भंग 159
गणेशजीपर शनिकी दृष्टि 164
आँख खोलनेवाली गाथा 170
दरिद्रता कहां-कहां रहती है? 173
शिवोपासना का अद्भुत फल 177
शबर-दम्पति की दृढ़ निष्ठा 181
कीड़े से महर्षि मैत्रेय 184
|